बिजली बोर्ड का वर्तमान प्रबंधन प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को अंधेरे की ओर धकेल रहा- हि0प्र0 स्टेट इलेट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन
यूनियन ने की मुख्यमंत्री से प्रदेश की जनता के हित मे योजना पर पुनर्विचार करने की मांग
शिमला, 04 जुलाई, 2023 । बिजली बोर्ड़ में लागू की जा रही केंद्र की बिजली वितरण प्रणाली के पुर्नोत्थान (RDSS) योजना प्रदेश और बिजली उपभोक्ताओं के हित मे नहीं है। इससे विद्युत उपभोक्ताओं व सरकार पर भारी भरकम वित्तिय बोझ पड़ेगा।
इस योजना के प्रथम भाग ‘स्मार्ट मीटरिंग’ की टेंडर प्रक्रिया में केंद्र से अनुमोदित 1800 रुपये करोड़ की योजना के लिए पिछले दिनो बोर्ड़ में निजी कंपनियों द्वारा लगभग 3000 करोड़ रुपये की निविदाएं लगाई गई है जिसमें केंद्र से मात्र 400 करोड़ रुपये का अनुदान मिलेगा बाकी के 2600 करोड़ रुपये का बोझ विद्युत दरों में संभावित 125 रुपये प्रति माह की बृद्धि से प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
बहीं RDSS के दूसरे भाग ‘बिजली प्रणाली सुधार’ के लिए प्रस्तावित निविदाओं का भी यही रुझान रहेगा । इस भाग में 1800 करोड़ रुपये के लिए निविदाएं लगभग 3000 करोड़ रुपए के इर्द गिर्द रहेगी जिसमे केंद्र से मात्र 1620 करोड़ रुपये मिलेंगे और शेष 1380 करोड़ रुपए का बोझ प्रदेश के उपभोक्ताओं पर विद्युत दरों में 80 रुपए प्रति माह की बढ़ोतरी से पड़ेगा।
इस तरह इस RDSS योजना में प्रस्तावित 2000 करोड़ रुपये की ग्रांट भी तभी मिलेगी यदि योजना में स्थापित लक्ष्य पूरे होंगे लेकिन निर्धारित अव्यभारिक लक्ष्य के पूरे होने की सम्भावना बहुत कम है जिससे यह राशि भी ऋण में बदलने की पुरी पुरी संभावना है। इस योजना की शेष लगभग 4000 करोड़ की राशि का बोझ तो पहले ही प्रदेश के उपभोक्ताओं पर लादना तय है। जिसके चलते प्रदेश के बिजली उपभोक्ता की विद्युत दरों में कुल 205 रुपए की प्रतिमाह बढ़ोतरी से स्मार्ट होना निश्चित है। वहीं बिजली बोर्ड़ मेंं प्रदेश केे युवाओं को भविष्य मेंं रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है वर्ष 2018 में स्मार्ट मीटर पर पौण्टा में 32 करोड़ की लागत से स्थापित पायलट परियोजना बुरी तरह से विफल हई है इस परियोजना में मात्र 50% मीटर डाटा भेज रहे है। ऐसे में 3000 करोड़ रुपए की स्मार्ट मीटर की योजना को लागू करना उचित नहीं है। यूनियन का आरोप है प्रवन्धन वर्ग में कुछ अधिकारी निहित स्वार्थ से सरकार के पास इस बारे गलत तथ्य दे रहे। इसलिए यूनियन मुख्यमंत्री से मांग करती है ऐसे सभी अधिकारियों से हस्ताक्षरित हलफनामा ले लिया जाए कि इस योजना के लागू करने से बिजली बोर्ड व प्रदेश की जनता को लाभ मिलेगा और भविष्य में कोई भी इससे नुकसान होगा तो उसकी भरपाई वो करने को तैयार है।
यूनियन का आरोप है कि कुुुछ अधिकारी या तो इस योजना की वास्तविकता सेे कोसो दूर है या फिर वो प्रदेेश के मुख्यमंत्री को निहित स्वार्थ से गुमराह कर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को अंधेरे में धकेल रहे हैं जिसका माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा प्रदेेश हित मे संज्ञान लेंंना अनिवार्य है।