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कोचिंग रिटर्न देने वाला एक समृद्ध उद्योग बन गया ह – जगदीप धनखड़

कोचिंग कल्चर किसी 'गैस चैंबर' से कम नहीं रह गया है- जगदीप धनखड़

हिमाचल न्यूज़ डेली (Himachal News Daily) 

नई दिल्ली, 29 जुलाई, 2024 । जगदीप धनखड़ ने अफसोस जताते हुए कहा कि चैंबर में चर्चा के लिए सभापति के अनुरोध को सदन के नेताओं द्वारा अस्वीकार और बहिष्कार करना संसदीय मर्यादा को कमजोर करता है और यह पहले कभी नहीं देखा गया। राज्यसभा में आज दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में जलभराव के कारण यूपीएससी अभ्यर्थी की दुखद मृत्यु पर राज्यसभा के नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा हुई। चर्चा की अनुमति देते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धाखड़ ने टिप्पणी की, “मुझे लगता है कि देश के युवा जनसांख्यिकीय लाभांश को पोषित करना अति आवश्यक है। मैंने पाया है कि कोचिंग अब व्यापार बन गया है…।”

Nominations for the National Teachers’ Award 2024 are open. The purpose of the National Teachers’ Award is to celebrate the unique contribution of some of the finest teachers in the country and to honor those teachers who through their commitment and industry have not only improved the quality of school education but also enriched the lives of their students. The last date for receiving online nominations is 15.7.2024 

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धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों द्वारा अखबार के विज्ञापनों पर किए जाने वाले भारी खर्च पर भी चिंता व्यक्त की, जो छात्रों से ली जाने वाली भारी फीस से किया जाता है। उन्होंने कहा, “कोचिंग उच्च रिटर्न के साथ एक समृद्ध उद्योग बन गया है....हर बार जब हम अखबार पढ़ते हैं तो पहले एक या दो पन्नों में कोचिंग विज्ञापन जरूर होते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “विज्ञापन पर खर्च किया गया एक-एक पैसा छात्रों की फीस से आ रहा है, हर नई इमारत छात्रों से आ रही है।”

कोचिंग कल्चर के कारण देश में बनाए गए साइलो की तुलना ‘गैस चैंबर्स’ से करते हुए सभापति ने कहा, “हमारे देश में जहां अवसर बढ़ रहे हैं, ऐसे साइलो बड़ी समस्या बन रहे हैं… ये किसी गैस चैम्बर से कम नहीं हैं।” उन्होंने सदन के सदस्यों से युवाओं के लिए देश में उपलब्ध रोजगार और कौशल विकास के विभिन्न अवसरों के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।

सदन के कुछ दलों के नेताओं द्वारा सभापति के कक्ष में सदन की कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का बहिष्कार और विरोध की प्रथा पर अफसोस जताते हुए धनखड़ ने कहा, “मुझे अपनी पीड़ा साझा करने दीजिए, मुझे अपना दर्द साझा करने दीजिए।सभापति जब सदन में माननीय सदस्यों से मिलने के लिए अनुरोध करते हैं तो उसे इस तरह मना किया जाना पहले कभी नहीं देखा गया। यह आचरण संसदीय मर्यादा को कमजोर करने वाला है।

सदन के कुछ नेता यदि इस तरह सदन में सभापति का बहिष्कार करना चाहते हैं, तो यह निश्चित रूप से एक स्वस्थ परंपरा नहीं है।”

इससे पहले आज विभिन्न राज्यसभा सदस्य जैसे सुधांशु त्रिवेदी और स्वाति मालीवाल ने यूपीएससी के एक कोचिंग सेंटर में हुई दुखद मृत्यु के मामले पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया। सभापति ने नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा की अनुमति दी क्योंकि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू तो मामले को अति आवश्यक बताते हुए नियम 267 के तहत इस मामले पर चर्चा करने के लिए तैयार थे, लेकिन मलिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी दल नियम 267 के तहत इस मामले पर चर्चा करने से असहमत थे। इसपर सभापति ने यह स्पष्ट किया कि नियम 267 के तहत किसी भी विषय पर तभी चर्चा की जाएगी जब सभी प्रमुख दल सहमत हों और पूरे सदन की आम सहमति हो।

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