राज्यपाल का सम्मान, हर्षिता के अरमान – रजत पदक ने लिखी नई पहचान”
हर्षिता की कहानी – हर युवा के लिए एक संदेश

|| गौरव का क्षण: ओलंपिक रजत पदक विजेता हर्षिता ठाकुर को राज्यपाल ने किया सम्मानित! शिमला की बेटी ने बर्फ से ढकी वादियों से उठाया देश का मान, इटली में रचा इतिहास ||
शिमला, 9 अप्रैल 2025 — इटली की बर्फीली ढलानों पर भारत का परचम लहराने वाली विशेष ओलंपिक रजत पदक विजेता हर्षिता ठाकुर ने आज एक और सुनहरा अध्याय जोड़ा जब उन्होंने राजभवन में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से शिष्टाचार भेंट की। इस गर्व के क्षण को और भी खास बनाते हुए राज्यपाल ने हर्षिता को हिमाचली टोपी और शॉल भेंट कर सम्मानित किया, और उनके साहस, समर्पण और अद्भुत उपलब्धि की सराहना की।
बर्फ पर चलाई कलम, लिखा सफलता का नया इतिहास- इटली में आयोजित विशेष ओलंपिक विश्व शीतकालीन खेलों में स्नोबोर्डिंग में रजत पदक जीतकर हर्षिता ने न सिर्फ हिमाचल, बल्कि पूरे भारत को गौरवांवित किया। यह उपलब्धि हर्षिता की अथक मेहनत, अडिग संकल्प और बुलंद हौसलों की गवाही देती है।
राज्यपाल की सराहना और प्रेरणादायक संदेश- राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हर्षिता को बधाई देते हुए कहा, “हर्षिता युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और दिल में जुनून हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।” राज्यपाल ने हर्षिता के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए विश्वास जताया कि वह भविष्य में भी देश और प्रदेश के लिए नई ऊंचाइयों को छुएंगी।
प्रधानमंत्री से मुलाकात का खास लम्हा- हर्षिता ने राज्यपाल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई अपनी मुलाकात का अनुभव भी साझा किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री से मिलना उनके जीवन का एक प्रेरणादायक और अविस्मरणीय पल रहा, जिसने उन्हें आगे और बेहतर करने की प्रेरणा दी।
परिवार की आंखों में खुशी और गर्व के आंसू- इस खास मौके पर हर्षिता के माता-पिता, श्री सोहन लाल और श्रीमती सरिता ठाकुर भी मौजूद थे, जिनकी आंखों में गर्व और खुशी की चमक साफ झलक रही थी। यह सम्मान न केवल हर्षिता के लिए बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश और भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण बन गया।
हर्षिता की कहानी – हर युवा के लिए एक संदेश- हर्षिता ठाकुर की सफलता की कहानी यह संदेश देती है कि सीमाएं केवल मानसिक होती हैं, और सच्चा हौसला उन्हें पार करने की ताकत देता है। उनकी यह उपलब्धि विशेष बच्चों और उनके परिवारों के लिए भी आशा की किरण है।
एक पदक, कई सपनों की जीत- आज हर्षिता सिर्फ एक रजत पदक विजेता नहीं, बल्कि एक प्रतीक हैं—संघर्ष की, हिम्मत की, और उस भारत की जो हर क्षेत्र में उभरता जा रहा है।