इन वादियों की ख़ामोशी कुछ कहती है, हर बर्फ की परत मोहब्बत को सहती है। हिमाचल की हवा में है इक सुकून ऐसा, जैसे रूह भी यहाँ ठहर कर रहती है।
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती के बारे में छोटा सा वर्णन

|| हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती के बारे में छोटा सा वर्णन ||हिमाचल से प्रेम करना, जीवन से प्रेम करना है।
जब भी थक जाऊँ की दौड़ में, याद आता है वो पहाड़ी मोड़ में।जहाँ धूप भी नरम सी चादर ओढ़े, और हवाएँ जैसे माँ की बातों में खोए।
|| 13 अप्रैल, 2025 || हिमाचल प्रदेश: प्रकृति की गोद में बसा एक प्रेम-पत्र–हिमालय की विशाल पर्वतमालाओं की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश कोई साधारण स्थान नहीं—यह तो प्रकृति की रचना है, एक कविता है जो बर्फीली चोटियों पर लिखी गई है, और देवदारों की सरसराहट में फुसफुसाई जाती है। अगर सौंदर्य का कोई घर होता, तो वह यहीं होता—इन बादलों में लिपटे, सूरज की नरम किरणों से चूमे हुए वादियों में।
प्रकृति की कूंची से बना एक चित्र–हिमाचल का हर कोना किसी चित्रकार की कल्पना जैसा प्रतीत होता है। खज्जियार की हरी-भरी घाटियाँ, जिन्हें ‘भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड’ कहा जाता है, नीले आकाश के नीचे सपनों की तरह फैली हैं। वसंत में जहाँ फूल मुस्कुराते हैं, वहीं सर्दियों में बर्फ का सफेद कंबल पूरे प्रदेश को शांत, पवित्र सौंदर्य से ढक देता है। शिमला, ‘पहाड़ों की रानी’, अपने औपनिवेशिक आकर्षण और सुंदरता के साथ राजसी ठाट में बैठी है। कुल्लू और मनाली की वादियाँ मानो प्रेम के गीत गा रही हों—नदियों के साथ संवाद करतीं, सेब के बागों में खुशबू बिखेरतीं।
गूँजते सन्नाटे और ऊँचे शिखर– स्पीति घाटी, एकांत और अनछुई, वहाँ की चुप्पी एक अलग ही भाषा बोलती है। ऊँचाई पर बने मठ, हवा में लहराते प्रार्थना झंडे, और समय जैसे यहाँ थम जाता है आत्मा को कुछ पल साँस लेने के लिए। वहीं धर्मशाला और मैक्लोडगंज की जीवंत गलियाँ आध्यात्मिकता और संस्कृति के संगम की कहानी सुनाती हैं। रोहतांग दर्रा और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क केवल स्थान नहीं, बल्कि बुलावा हैं—प्रकृति के साथ एक हो जाने का, खुद को खोकर खुद को पा लेने का।
संस्कृति जो दिल को छू जाए– हिमाचली संस्कृति में आत्मीयता, सादगी और अनगिनत लोककथाओं की मिठास रची-बसी है। यहाँ के मेले, संगीत, और नृत्य में पर्वतों की आत्मा गूंजती है। लकड़ी के पुराने मंदिरों में नक्काशी, भक्ति और शांति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यहाँ का खाना भी आत्मा को तृप्त करता है—सिड्डू, मदरा, चहा गोश्त, बब्बरू—हर व्यंजन में पहाड़ी माँओं के हाथों की गर्माहट और परंपराओं की मिठास है।
एक जगह जो दिल की तरह लगती है– हिमाचल कुछ ऐसा है, जो कभी नया नहीं लगता—बल्कि लगता है जैसे कोई भूली हुई, प्यारी सी याद वापस मिल गई हो। शायद वो बादलों का पहाड़ों से मिलना हो, या अनजान चेहरों की मुस्कान में अपनापन। यहाँ की खामोशी खाली नहीं लगती—बल्कि भरी होती है, शांति से, कहानियों से, और पृथ्वी की गहराई से।
हिमाचल से प्रेम, सबसे पवित्र प्रेम– हिमाचल प्रदेश एक गंतव्य नहीं, एक एहसास है। यह वह स्थान है जहाँ पहली बर्फ हथेली पर टिकती है, जहाँ हर नदी कोई गीत गुनगुनाती है, और जहाँ हर पहाड़ कोई कथा कहता है। एक बार यहाँ दिल लगाया, तो वह दिल हमेशा यहीं रह जाता है।
|| हिमाचल से प्रेम करना, जीवन से प्रेम करना है। ||